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विष्णु प्रभाकर की लोकप्रिय कहानियाँ

विष्णु प्रभाकर
4.9/5 (24378 ratings)
Description:सन् 1931 में जब विष्णु प्रभाकर 19 वर्ष के थे; उनकी पहली कहानी ‘दिवाली की रात’ लाहौर से निकलनेवाले ‘मिलाप’ पत्र में छपी। उसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ; वह 76 वर्ष सन् 2007 तक निर्बाध चलता रहा। उनके लेखन में विचार नारों की तरह शोरगुल में नहीं बदलता। मनुष्य मन की जटिल व्यवस्था हो या अमानवीय असामाजिक परिस्थितियाँ; विष्णु प्रभाकर उस मनुष्य की चिंता करते हैं; जिसे सताया जा रहा है और फिर भी निरंतर मुक्ति संग्राम में जुटा है। उनकी कथावस्तु में प्रेम; मानवीय संवेदना; पारिवारिक संबंध; अंधविश्वास जैसे विषय मौजूद हैं।विष्णुजी की अधिक रुचि मनुष्य में रही। उन्होंने उसके जीवन के झूठ और पाखंड को देखा; उसके छोटे-से-छोटे क्रियाकलाप को बारीकी से परखा; उसके अंतर में चलते द्वंद्व को समझा; अपने दीर्घ अनुभव के साँचे में ढाला और करुणा के अंतर्निहित भावों को शब्द दिए। वे अपने प्रारंभिक त्रासद जीवन के प्रभाव से शायद कभी मुक्त न हो सके। उनका विपुल साहित्य उनके स्वयं के जीवन का ही प्रतिरूप है; जो सरल; सात्त्विक; अकृत्रिम व मानवीय मूल्यों को समर्पित है। मित्र; हमदर्द; सलाहकार; सहभागी और सहयात्री—विष्णु प्रभाकर अनेक रूपों में अपने कथा-पात्रों के साथ जीते हैं। यही जीना उनकी रचनाओं को रोचक बना देता है।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with विष्णु प्रभाकर की लोकप्रिय कहानियाँ. To get started finding विष्णु प्रभाकर की लोकप्रिय कहानियाँ, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
Pages
Format
PDF, EPUB & Kindle Edition
Publisher
Prabhat Prakashan
Release
2015
ISBN
9351862674

विष्णु प्रभाकर की लोकप्रिय कहानियाँ

विष्णु प्रभाकर
4.4/5 (1290744 ratings)
Description: सन् 1931 में जब विष्णु प्रभाकर 19 वर्ष के थे; उनकी पहली कहानी ‘दिवाली की रात’ लाहौर से निकलनेवाले ‘मिलाप’ पत्र में छपी। उसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ; वह 76 वर्ष सन् 2007 तक निर्बाध चलता रहा। उनके लेखन में विचार नारों की तरह शोरगुल में नहीं बदलता। मनुष्य मन की जटिल व्यवस्था हो या अमानवीय असामाजिक परिस्थितियाँ; विष्णु प्रभाकर उस मनुष्य की चिंता करते हैं; जिसे सताया जा रहा है और फिर भी निरंतर मुक्ति संग्राम में जुटा है। उनकी कथावस्तु में प्रेम; मानवीय संवेदना; पारिवारिक संबंध; अंधविश्वास जैसे विषय मौजूद हैं।विष्णुजी की अधिक रुचि मनुष्य में रही। उन्होंने उसके जीवन के झूठ और पाखंड को देखा; उसके छोटे-से-छोटे क्रियाकलाप को बारीकी से परखा; उसके अंतर में चलते द्वंद्व को समझा; अपने दीर्घ अनुभव के साँचे में ढाला और करुणा के अंतर्निहित भावों को शब्द दिए। वे अपने प्रारंभिक त्रासद जीवन के प्रभाव से शायद कभी मुक्त न हो सके। उनका विपुल साहित्य उनके स्वयं के जीवन का ही प्रतिरूप है; जो सरल; सात्त्विक; अकृत्रिम व मानवीय मूल्यों को समर्पित है। मित्र; हमदर्द; सलाहकार; सहभागी और सहयात्री—विष्णु प्रभाकर अनेक रूपों में अपने कथा-पात्रों के साथ जीते हैं। यही जीना उनकी रचनाओं को रोचक बना देता है।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with विष्णु प्रभाकर की लोकप्रिय कहानियाँ. To get started finding विष्णु प्रभाकर की लोकप्रिय कहानियाँ, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
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PDF, EPUB & Kindle Edition
Publisher
Prabhat Prakashan
Release
2015
ISBN
9351862674
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