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Vinayak Sahasra Siddhai

Rajendra Mohan Sharma
4.9/5 (22638 ratings)
Description:भारतीय जनमानस में विनायक को लेकर जैसी श्रद्धा व विश्वास है, वही उसे लोक नायक बनाने के लिए पर्याप्त है। वह सामाजिक दृष्टि से रूढि़ग्रस्त समाज को दिशा देता है और सामाजिक सरोकारों से जुड़कर लोक-कल्याण को सर्वोपरि मानता है। भारत में आर्यावर्त के समय से ही या यों कहें, उससे पूर्व से ही गणेश, गणपति, गणनायक एक ऐसे नायक रहे हैं, जो अपने श्रेष्ठ कार्यों के कारण घर-घर में वंदनीय रहे। मानव समाज उन्हीं की वंदना करता है, जो सेवा के बदले कोई अपेक्षा नहीं करते। विघ्नहर्ता-मंगलमूर्ति-लंबोदर गणेशजी पर केंद्रित इस औपन्यासिक कृति का लेखन इसी वर्ष में पूर्ण हुआ, जिसका आधार मार्कंडेयपुराण, अग्निपुराण, शिवपुराण और गणेशपुराण सहित अनेक संदर्भ ग्रंथों का अध्ययन है। विनायक एक सामान्य विद्यार्थी से लेकर समाज के पथ-प्रदर्शक के रूप में पल-पल पर संघर्ष करता है और प्रतिगामी शक्तियों से मुकाबला करता है। विनायक ने हर उस घटना, कार्य और यात्रा को सामाजिक सरोकारों के साथ जोड़ा है, जिनसे वह गुजरता है। अपने मित्रों पर उसे अटूट विश्वास है। उसके पास अद्भुत संगठन क्षमता है। विनायक एक साधारण नायक से महानायक तक की यात्रा तय करता है; लेकिन मानव होने के नाते सारे गुण-अवगुण अपने भीतर समेटे हुए है। ‘विनायक त्रयी’ का यह भाग ‘विनायक सहस्र सिद्धै’ एक ऐसा ही उपन्यास है। अत्यंत रोचक व पठनीय उपन्यास।.We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with Vinayak Sahasra Siddhai. To get started finding Vinayak Sahasra Siddhai, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
Pages
240
Format
PDF, EPUB & Kindle Edition
Publisher
Prabhat Prakashan
Release
2019
ISBN
9386870533

Vinayak Sahasra Siddhai

Rajendra Mohan Sharma
4.4/5 (1290744 ratings)
Description: भारतीय जनमानस में विनायक को लेकर जैसी श्रद्धा व विश्वास है, वही उसे लोक नायक बनाने के लिए पर्याप्त है। वह सामाजिक दृष्टि से रूढि़ग्रस्त समाज को दिशा देता है और सामाजिक सरोकारों से जुड़कर लोक-कल्याण को सर्वोपरि मानता है। भारत में आर्यावर्त के समय से ही या यों कहें, उससे पूर्व से ही गणेश, गणपति, गणनायक एक ऐसे नायक रहे हैं, जो अपने श्रेष्ठ कार्यों के कारण घर-घर में वंदनीय रहे। मानव समाज उन्हीं की वंदना करता है, जो सेवा के बदले कोई अपेक्षा नहीं करते। विघ्नहर्ता-मंगलमूर्ति-लंबोदर गणेशजी पर केंद्रित इस औपन्यासिक कृति का लेखन इसी वर्ष में पूर्ण हुआ, जिसका आधार मार्कंडेयपुराण, अग्निपुराण, शिवपुराण और गणेशपुराण सहित अनेक संदर्भ ग्रंथों का अध्ययन है। विनायक एक सामान्य विद्यार्थी से लेकर समाज के पथ-प्रदर्शक के रूप में पल-पल पर संघर्ष करता है और प्रतिगामी शक्तियों से मुकाबला करता है। विनायक ने हर उस घटना, कार्य और यात्रा को सामाजिक सरोकारों के साथ जोड़ा है, जिनसे वह गुजरता है। अपने मित्रों पर उसे अटूट विश्वास है। उसके पास अद्भुत संगठन क्षमता है। विनायक एक साधारण नायक से महानायक तक की यात्रा तय करता है; लेकिन मानव होने के नाते सारे गुण-अवगुण अपने भीतर समेटे हुए है। ‘विनायक त्रयी’ का यह भाग ‘विनायक सहस्र सिद्धै’ एक ऐसा ही उपन्यास है। अत्यंत रोचक व पठनीय उपन्यास।.We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with Vinayak Sahasra Siddhai. To get started finding Vinayak Sahasra Siddhai, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
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Pages
240
Format
PDF, EPUB & Kindle Edition
Publisher
Prabhat Prakashan
Release
2019
ISBN
9386870533
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